Caste Census In India: मोदी सरकार कराएगी जातिगत जनगणना, जानिए सत्तापक्ष के नेताओं की प्रतिक्रिया

  • April 30, 2025
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Caste Census In India

Caste Census In India: भारत में लंबे समय से चली आ रही जातिगत जनगणना की मांग को आखिरकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) ने स्वीकार कर लिया है. 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई ‘सुपर कैबिनेट’ बैठक में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया. केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल करने का निर्णय लिया है. इस फैसले के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिसमें उत्साह, स्वागत और कुछ सवाल भी शामिल हैं. आइए जानते हैं कि इस फैसले पर नेताओं ने क्या कहा.

सत्तापक्ष-विपक्ष के नेताओं ने क्या – क्या कहा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जातीय जनगणना का फ़ैसला ऐतिहासिक है. समूचा दलित, आदिवासी, पिछड़ा समाज उनके इस फ़ैसले का तहेदिल से स्वागत करता है. दशकों से इसका इंतज़ार था. यह उन नेताओं के लिए भी एक सबक है जो जातीय जनगणना का राग तो बहुत अलापते थे, लेकिन दशकों तक सत्ता में रहने पर उनके दल इस मुद्दे पर कंबल ओढ़कर सो जाते थे. जाति भारतीय राजनीति की सच्चाई है और जातीय जनगणना इसकी धुरी.”

हालांकि, उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस और सपा अपनी जन्मजात तुष्टिकरण की आदत के कारण खुलकर मुसलमानों पर बहुत मेहरबान रही है. इसका व्यापक असर दुश्मन देश पाकिस्तान तक पहुंच गया है.

इस्लामिक देश होने के नाते पाकिस्तान को भारत में ऐसे दल बहुत सुहाते हैं जो रात-दिन अपने मुस्लिम प्रेम का नगाड़ा बजाते रहते हैं. इसे धार तब और ज्यादा मिलती है जब कांग्रेस के नेता पाकिस्तान जाकर गिड़गिड़ाते हैं कि उनको मोदी जी से बचाओ.” मौर्य ने आगे कहा कि पाकिस्तान में इन दलों के बयान सुर्खियां बनते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी के सामने उनकी कोई दाल नहीं गलने वाली.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी इस फैसले का स्वागत किया. रायपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “अगर केंद्रीय कैबिनेट ने यह फैसला लिया है, तो इसका संचालन किया जाएगा. यह एक सकारात्मक कदम है और इससे समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा.”

बिहार के राजनेता और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने इस फैसले को क्रांतिकारी बताया. उन्होंने कहा, “देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में NDA सरकार की कैबिनेट द्वारा ‘जातिगत जनगणना’ कराने का निर्णय ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है. RLM की राजनीतिक मंथन शिविर में सर्वसम्मति से इसका निर्णय लिया गया था.

इस अभूतपूर्व निर्णय के लिए राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सभी समर्पित साथियों और बिहार सहित देशभर के गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, वंचितों, मजलूमों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलितों, महादलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की तरफ से आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और उनकी कैबिनेट को जितना धन्यवाद दिया जाए वह कम होगा. देश के दबे-कुचले व शोषित समाज के विकास की दिशा में भारत सरकार का यह निर्णय मिल का पत्थर साबित होगा.”

विपक्ष और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदित राज ने इस फैसले को अपनी पार्टी की जीत करार दिया. उन्होंने कहा, “मोदी सरकार (Modi Government) मजबूर हो गई जाति जनगणना कराने के लिए. यह कांग्रेस की जीत है. बहुजन समाज राहुल गांधी जी को धन्यवाद देता है, उनका निरंतर प्रयास रंग लाया. बहुत कोशिश किया बीजेपी/आरएसएस ने रोकने के लिए, लेकिन अंत में झुकना पड़ा.”

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा, “बीजेपी और मोदी सरकार (Modi Government) ने जातीय जनगणना को जनगणना में शामिल किया, यह हमारी पार्टी की आदरणीय राहुल गांधी जी की और पिछड़े वर्ग की जीत है. हमारे नेता राहुल गांधी जी ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई, पहले भाजपा ने विरोध किया, अब दबाव में ही सही लेकिन माना. लेकिन भारतीय जनता पार्टी झूठ की फैक्ट्री है, भाजपा की नियत पर सवाल है. क्योंकि इनका किया कोई वादा पूरा नहीं हुआ.”

जिन्होंने लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग की थी, ने इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है. जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है. यह बेहद खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है.

जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा, जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएँ बनाने में सहूलियत होगी. इससे देश के विकास को गति मिलेगी. जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन तथा धन्यवाद.”

जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने भी इस फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा, “एनडीए की केंद्र की सरकार ने देश में जातीय जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य कदम है. आप सभी जानते हैं कि हमारे नेता आदरणीय नीतीश कुमार जी ने इस मांग को विभिन्न प्लेटफार्म पर उठाया है, चाहे वह विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवाना हो, सर्वदलीय सहमति बनानी हो, या केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचानी हो. ये पहले ही हो जाना चाहिए था, नहीं हो पाने की स्थिति में बिहार की सरकार ने अपने खर्चे पर प्रदेश में जातीय गणना कराई. एक सकारात्मक संदेश पूरे देश में गया. अब केंद्र की सरकार ने यह फैसला लिया है. देर आए लेकिन दुरुस्त आए.”

आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) ने भी इस फैसले पर खुशी जताई. पार्टी ने अपने नेता चंद्रशेखर के एक ट्वीट को रीट्वीट किया, जिसमें चंद्रशेखर ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कहा था, “मैं जातिगत जनगणना से अपनी स्पीच की शुरूआत करूंगा. जिसकी देश को जरूरत है, क्योंकि गणना होगी तो आंकड़े आएंगे, आंकड़े आएंगे तो जो बजट दिया जा रहा है, वो सही तरीके से लोगों तक पहुंच पाएगा और लोगों को उस बजट का फायदा होगा.”

इन्होंने उठाए सवाल और दिए सुझाव
हालांकि, कुछ नेताओं ने इस फैसले के कार्यान्वयन पर सवाल उठाए. आईपी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जातिगत जनगणना सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में ही हो. भारतीय जनता पार्टी को आखिर देश की मांग के आगे झुकना ही पड़ा. मगर ध्यान रहे, पिछड़ों, दलितों और वंचितों की लड़ाई अभी यहीं ख़त्म नहीं होती. यह जनगणना कौन करेगा? समिति के सदस्य हर समाज के लोग होंगे या नहीं? सही जनगणना होनी बहुत जरूरी है. केंद्र सरकार से हम सभी की मांग है कि यह जनगणना सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में ही हो.”

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने इस पर विस्तृत टिप्पणी नहीं की.

जातिगत जनगणना का यह फैसला भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू करने वाला है. जहां सत्तापक्ष इसे अपनी उपलब्धि बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे अपनी मांग की जीत करार दे रहा है. लेकिन असली सवाल यह है कि इस जनगणना का कार्यान्वयन कितना पारदर्शी और प्रभावी होगा, यह आने वाला समय ही बताएगा.