
Samudrik Shastra: क्या आप जानते हैं कि माथे की लकीरें आपकी आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, भाग्य और जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बहुत कुछ बता सकती हैं? सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, हमारे शरीर के विभिन्न अंगों की बनावट के आधार पर, विशेष रूप से माथे की लकीरें, हमारे स्वभाव और भविष्य से जुड़े कई संकेत मिलते हैं. माना जाता है कि इन लकीरों का संबंध सीधे आपके पूर्व जन्म के कर्मों और इस जन्म में किए जाने वाले प्रयासों से होता है. यही वजह है कि किसी के चेहरे की मुस्कान से ज्यादा उसके माथे की रेखाएं उसके भाग्य की कहानी बयां करती हैं. ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर से जानेंगे माथे पर बनी ये रेखाएं जीवन के कौन से रहस्य खोलती हैं और इन्हें देखकर भाग्यशाली व्यक्ति की पहचान कैसे की जा सकती है.
पहली लकीर- धन की रेखा
माथे पर सबसे नीचे, भौंहों (आइब्रो) के ठीक ऊपर जो लकीर होती है, उसे धन की रेखा कहा जाता है. अगर यह रेखा साफ, गहरी और बिना किसी कटाव के हो तो व्यक्ति को जीवन में धन की कमी नहीं होती. लेकिन अगर यह रेखा टूटी हुई, छोटी या हल्की हो, तो आर्थिक परेशानियां बार-बार सामने आती हैं.
दूसरी लकीर- स्वास्थ्य की लकीर
यह लकीर धन की रेखा के ठीक ऊपर पाई जाती है. अगर यह गाढ़ी और स्पष्ट हो, तो व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. लेकिन अगर यह लकीर हल्की और पतली हो, तो व्यक्ति बीमार रहता है. टूटी हुई हो या ऊपर-नीचे हो तो व्यक्ति को लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
तीसरी लकीर- भाग्य की लकीर
माथे के बीचों-बीच यह रेखा पाई जाती है. नीचे से पाई जाने वाली तीसरी लकीर भाग्य की होती है.
अगर यह रेखा चाहे छोटी ही हो व्यक्ति भाग्यवान होता है. माथे पर तीन सीधी लकीरों का समानांतर होना बेहद लकी माना जाता है. ऐसे लोग जीवन में बड़ी सफलता और उन्नति प्राप्त करते हैं.
चौथी लकीर- जीवन के संघर्ष की लकीर
यह तीसरी लकीर के ऊपर होती है और कम लोगों में पाई जाती है. ये लकीर हो तो जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं. ऐसे व्यक्ति को 28 से 40 वर्ष की उम्र तक काफी संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि, 40 वर्ष के बाद ऐसे लोगों को बड़ी सफलता और स्थिरता मिलती है.
पांचवीं लकीर- चिंता और तनाव की लकीर
यह लकीर जहां से बाल शुरू होते हैं, वहां के पास होती है. जिनके माथे पर यह लकीर होती है, वे लोग जीवन में चाहे कितनी भी सफलता पा लें, किसी न किसी बात को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं. कई बार ऐसे लोग जीवन के किसी मोड़ पर वैराग्य की ओर भी मुड़ जाते हैं.
छठी लकीर- देवी कृपा की रेखा
यह सबसे दुर्लभ रेखा होती है, यह नाक की सीधी तरफ ऊपर क ओर जाती है, जैसे तिलक लगाया जाता है. इसे दैवीय लकीर कहा जाता है. ऐसी रेखा वाले लोग पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों के कारण अचानक चमत्कारी तरक्की कर लेते हैं और इन्हें अचानक धन प्राप्त होता है. ऐसे लोग जीवन में विशेष सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं.