
नई दिल्ली/तेहरान/वॉशिंगटन:
मिडिल ईस्ट में चल रही तनातनी के बीच एक बड़ा बयान सामने आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम (Ceasefire) पर सहमति बन गई है। ट्रंप ने इसे एक ऐतिहासिक शांति प्रयास बताया। लेकिन कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने इस दावे को खारिज कर दिया, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है।
ट्रंप का बड़ा दावा: “12 घंटे में अमल होगा सीजफायर”
सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि ईरान और इजरायल ने 12 घंटे के अंदर सीजफायर लागू करने पर रजामंदी दी है। उन्होंने दोनों देशों की “सहनशीलता, साहस और सूझबूझ” की तारीफ की और कहा,
“ईश्वर इज़रायल, ईरान, मिडिल ईस्ट, अमेरिका और पूरी दुनिया को आशीर्वाद दें।”
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि दोनों देश खुद उनके पास शांति की अपील लेकर आए और यह शांति प्रयास “दुनिया के लिए एक नई शुरुआत” हो सकता है।
ईरान का जवाब: “यह झूठ है”
ट्रंप के दावे के कुछ ही समय बाद, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,
“अभी तक कोई औपचारिक युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है। इजरायल हमले बंद करे तभी हम कार्रवाई रोकने पर विचार करेंगे।”
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खामेनेई ने भी एक पोस्ट में अमेरिका की आलोचना करते हुए लिखा कि,
“ईरानी राष्ट्र कभी उत्पीड़न स्वीकार नहीं करेगा।”
ट्रंप के बयान से पहले दागी गई थीं मिसाइलें
ईरान ने कतर स्थित यूएस एयरबेस पर 14 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 13 को इंटरसेप्ट कर लिया गया। ट्रंप ने इसे “कमजोर जवाब” बताया।
क्या सच में है कोई शांति प्रयास?
सूत्रों के मुताबिक, ईरान ने कतर के ज़रिए भेजे गए युद्धविराम प्रस्ताव पर कुछ शर्तों के साथ सहमति जताई थी, लेकिन उसे औपचारिक समझौता नहीं माना जा सकता। वहीं कतर, UAE, बहरीन जैसे देशों ने सुरक्षा कारणों से अपने एयरबेस बंद कर दिए हैं, जिससे संकट की गंभीरता साफ है।