
तेल अवीव/तेहरान – इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के आठवें दिन एक नया और चिंताजनक मोड़ सामने आया है। गुरुवार को इज़राइली सेना ने दावा किया कि ईरान ने इज़राइल पर ऐसी मिसाइल दागी जिसमें क्लस्टर बम की तरह छोटे-छोटे सबम्युनिशन शामिल थे, जिनका उद्देश्य नागरिकों को अधिकतम नुकसान पहुंचाना था। यह इस युद्ध में क्लस्टर बम तकनीक के कथित पहले उपयोग का मामला है।
इज़राइली सेना ने कहा कि मिसाइल का वारहेड करीब 7 किमी की ऊंचाई पर फटा, और करीब 8 किमी के दायरे में लगभग 20 छोटे बम (सबम्युनिशन) बिखरे। इनमें से एक विस्फोटक मध्य इज़राइल के अज़ोर शहर में एक घर पर गिरा, जिससे मामूली नुकसान हुआ। हालांकि, किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
सैन्य प्रवक्ता का बयान: नागरिकों को निशाना बना रहा है ईरान
इज़राइली सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा,
“आतंकी शासन (ईरान) जानबूझकर आम नागरिकों को निशाना बना रहा है। क्लस्टर जैसे हथियारों का उपयोग कर वह नुकसान के दायरे को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।”
सेना ने बिना फटे बमों (unexploded ordnance) के खतरे को लेकर एक सार्वजनिक चेतावनी ग्राफिक भी जारी किया है।
क्लस्टर बम: क्यों हैं ये विवादास्पद?
क्लस्टर बम ऐसे हथियार होते हैं जो हवा में फटते हैं और दर्जनों से सैकड़ों छोटे बमों को एक विस्तृत क्षेत्र में बिखेर देते हैं। इनमें से कई सबम्युनिशन उस समय नहीं फटते, और संघर्ष के बाद भी नागरिकों के लिए खतरा बने रहते हैं। यही वजह है कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद और अमानवीय माना जाता है।
ईरान और इज़राइल अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध में शामिल नहीं
ईरान और इज़राइल दोनों ही 2008 के अंतरराष्ट्रीय क्लस्टर म्यूनिशन प्रतिबंध समझौते का हिस्सा नहीं हैं, जिस पर अब तक 111 देश और 12 संस्थाएं हस्ताक्षर कर चुकी हैं। यह संधि इन हथियारों के उत्पादन, भंडारण, स्थानांतरण और उपयोग पर रोक लगाती है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंता
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डेरिल किमबॉल ने कहा:
“क्लस्टर हथियार जब आबादी वाले इलाकों में इस्तेमाल होते हैं, तो वे बड़े पैमाने पर विनाश करते हैं और बिना विस्फोट वाले बमों के खतरे को लंबे समय तक बनाए रखते हैं। ईरान को यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि इनके उपयोग से सैन्य ठिकानों के बजाय नागरिक लक्ष्य प्रभावित होंगे।”
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन और वॉशिंगटन स्थित इज़राइली दूतावास ने इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।