
Indo Pak Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ा है. ऐसे में एक बार फिर से दोनों देशों के बीच युद्ध की चर्चाओं का बाजार गर्म है. वहीं, इस वजह से अब कारगिल और 1971 और 65 की लड़ाई की यादें भी ताजा हो गई हैं. भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को मात दी थी और उसके 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया था. वहीं, 1965 के युद्ध में भी भारत के हाथों पाकिस्तान को मात खानी पड़ी थी और कई पटन टैंक भी कब्जे में ले लिए थे. युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना जब भाग खड़ी हुई थी तो इन पटन टैंकों को सीमा पर ही छोड़ दिया था. ऐसे ही एक चंडीगढ़ में भी सेना की तरफ से रखा गया है.
दरअसल, चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में जंग में भारत की शौर्य गाथा की गवाही देने वाले पैटन टैंक आज भी इतिहास को समेटे हुए हैं.
साल 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत में पैटन टैंकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पाकिस्तानी सेना ने 1965 में खेमकरण सेक्टर में पैटन टैंकों का इस्तेमाल किया था, लेकिन भारतीय सेना ने उन टैंकों को नष्ट कर दिया था. आज भी पंजाब के खेमकरण में और चंडीगढ़ में कुछ पैटन टैंक स्मारक के तौर पर मौजूद हैं, जो उस युद्ध की याद दिलाते हैं.
गौरतलब है कि सेक्टर 10 में बड़ी संख्या में लोग टैंक को देखने आते हैं. वहीं, जब भी आसपास से कोई गुजरता है और इस टैंक पर किसी की नजर जाती है तो उसपर चढ़फोटो जरूर खींचवाते हैं. पटन टैंक की मारक क्षमता दो किमी की रैंज तक थी.
अमेरिका ने बनाया था टैंक
पटन टैंक एक अमेरिकी मुख्य युद्धक टैंक (Main Battle Tank) श्रृंखला है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित किया गया और इसका नाम अमेरिकी जनरल जॉर्ज एस. पैटन के नाम पर रखा गया है. यह टैंक शीत युद्ध के दौरान कई देशों की सेनाओं में इस्तेमाल हुआ, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल था. पैटन टैंक की कई सीरिज थीं, जैसे M47, M48, और M60, जो अपनी मजबूत कवच और तोप के लिए जानी जाती थीं. पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ युद्ध में किया था, लेकिन वह अब तक कोई भी युद्ध नहीं जीत पाया था.