PM मोदी ने ट्रंप से कहा: पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं

  • June 18, 2025
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भारत का स्पष्ट रुख, द्विपक्षीय मुद्दों में बाहरी दखल को सिरे से नकारा

मोदी-ट्रंप बातचीत: भारत की नीति पर दो टूक जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के दौरान यह साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह के युद्धविराम या वार्ता में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं हो सकती। यह बयान उस समय आया जब ट्रंप ने एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज कर दिया।

पीएम मोदी ने न केवल भारत की पारंपरिक नीति का दोहराव किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच के सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इन्हें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका के बिना ही सुलझाया जाना चाहिए।

भारत-पाक रिश्तों की संवेदनशीलता
भारत और पाकिस्तान के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, जिनमें सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर मुद्दा और संघर्षविराम उल्लंघन जैसे अनेक जटिल पहलू शामिल हैं। ऐसे में किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप भारत की विदेश नीति के सिद्धांतों के खिलाफ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह रेखांकित किया कि भारत आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले किसी भी देश से तब तक बातचीत नहीं करेगा जब तक वह आतंकवाद पर स्पष्ट और निर्णायक कदम नहीं उठाता। पाकिस्तान द्वारा बार-बार सीमा पर संघर्षविराम का उल्लंघन और आतंकवादियों को समर्थन देना किसी भी बातचीत के माहौल को असंभव बना देता है।

ट्रंप की मध्यस्थता पेशकश और भारत की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात की थी, जिसे भारत सरकार ने हमेशा नकारा है। इस बार भी जब ट्रंप ने इस प्रस्ताव को दोहराया, पीएम मोदी ने तुरंत कहा कि भारत को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं है।

मोदी ने ट्रंप से यह भी कहा कि भारत एक परिपक्व लोकतंत्र है और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सभी पूर्व समझौते — विशेष रूप से शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र — में यह स्पष्ट किया गया है कि दोनों देशों के बीच के मुद्दे केवल द्विपक्षीय तरीके से हल होंगे।

कूटनीतिक परिपक्वता का उदाहरण
मोदी का यह रुख न केवल भारत की कूटनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब अपनी विदेश नीति में किसी भी दबाव को स्वीकार नहीं करता। चाहे वह अमेरिका जैसा महाशक्ति राष्ट्र हो या कोई और, भारत ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि उसकी संप्रभुता और निर्णय क्षमता पर कोई समझौता नहीं होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत वैश्विक शांति और स्थायित्व के पक्ष में है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम है।

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति
भारत की विदेश नीति हमेशा से आत्मनिर्भरता और संप्रभुता पर आधारित रही है। चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो, ईरान-इजरायल संघर्ष या अमेरिका-चीन टकराव, भारत ने हर बार स्वतंत्र और संतुलित रुख अपनाया है। यही कारण है कि भारत को विश्व में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में देखा जाता है।

ट्रंप से बातचीत में मोदी का यह संदेश भी स्पष्ट था कि भारत अमेरिका के साथ दोस्ती को महत्व देता है, लेकिन उसकी नीति और सिद्धांतों में कोई ढील नहीं दी जाएगी।

पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश
इस बातचीत के ज़रिए पाकिस्तान को भी एक बार फिर सख्त संदेश गया है कि भारत अब किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर आतंकवाद के मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा। जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से चल रहे आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक किसी भी प्रकार की सार्थक बातचीत की संभावना नहीं है।

निष्कर्ष: आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर कूटनीति
पीएम मोदी द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को दिया गया यह बयान भारत की सशक्त विदेश नीति का प्रतीक है। यह न केवल भारत की दृढ़ इच्छा-शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ अपने हितों की रक्षा करने में सक्षम है।

ट्रंप जैसे प्रभावशाली नेता को भी यह समझ में आ गया है कि भारत अब किसी भी विवाद में बाहरी हस्तक्षेप को नकारता है और हर मुद्दे को संप्रभुता के साथ हल करना चाहता है।

भारत की नीति स्पष्ट है — शांति की पहल तभी संभव है जब उसके पड़ोसी भी ईमानदारी से कदम उठाएं। और जब तक ऐसा नहीं होता, भारत अपने रुख पर अडिग रहेगा – शांतिप्रिय लेकिन सशक्त।