
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को कथित रूप से जबरन बंद कराये जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटायेगा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अरशद मदनी) की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की गुरुवार (22 मई,2025) को लखनऊ में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया.
संगठन के वरिष्ठ सदस्य और विधिक सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जमीयत की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की बैठक प्रांतीय अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई.
मदरसों पर कार्रवाई को हाई कोर्ट में देंगे चुनौती
उन्होंने बताया कि बैठक में प्रदेश के कई जिलों, खासकर नेपाल से सटे बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज तथा कुछ अन्य जनपदों में हाल में प्रशासन की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को जबरन बंद कराये जाने की कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है.
रशीदी ने बताया, “मदरसों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत भी संरक्षण मिला हुआ है. साथ ही साल 2014 में उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने भी मदरसों को संरक्षण दिया है.”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पिछले साल 20 दिसंबर को मदरसों पर कार्रवाई रोकने का निर्देश दिया था, मगर उसके बाद भी गैर मान्यता प्राप्त इस्लामी शिक्षण संस्थानों को जिस तरीके से बंद किया जा रहा है, वह संविधान के खिलाफ हैं.
नेपाल से सटे यूपी के जिलों में मदरसों पर एक्शन
उत्तर प्रदेश में नेपाल से सटे बहराइच, श्रावस्ती, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिलों में प्रशासन द्वारा अवैध कब्जे और बिना मान्यता के संचालित किये जाने का आरोप लगाते हुए 200 से ज्यादा मदरसों को बंद कराया जा चुका है. रशीदी ने बताया कि बैठक में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर भी व्यापक चर्चा की गयी.