
मध्य पूर्व में फिर छिड़ा भीषण संघर्ष
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव ने अब एक भयावह मोड़ ले लिया है। 8 जून की रात को ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर एक साथ 100 से अधिक मिसाइलें दागीं, जिससे पूरे शहर में दहशत फैल गई। यह हमला इतना भीषण था कि कुछ ही मिनटों में एयर सायरन बजने लगे और हजारों नागरिकों को अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों से भागकर सुरक्षा बंकरों में शरण लेनी पड़ी।
तेल अवीव में धमाकों से कांपा आसमान
रात करीब 11 बजे जब अधिकतर लोग अपने घरों में थे, अचानक आसमान में चमकते मिसाइलों और विस्फोटों की आवाज ने शहर को झकझोर दिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई मिसाइलें इजरायल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दीं, लेकिन कुछ मिसाइलें शहर के बाहरी इलाकों में गिरीं, जिससे भारी नुकसान हुआ। तेल अवीव के कुछ रिहायशी इलाकों में आगजनी और इमारतों को नुकसान की खबरें सामने आई हैं।
लोगों में डर और अफरा-तफरी
जैसे ही मिसाइलों की बारिश शुरू हुई, लोग अपने बच्चों और परिवारों को लेकर नजदीकी बंकरों की ओर भागे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि लोग रोते-बिलखते हुए सुरक्षा की तलाश में भाग रहे हैं। एक स्थानीय महिला ने रोते हुए बताया,
“हमने सोचा कि ये हमारी ज़िंदगी की आखिरी रात है। बच्चों को सीने से चिपकाकर बंकर में छिप गए।”
ईरान की तरफ से जवाबी हमला, क्यों?
ईरान ने इस हमले को एक ‘बदला’ बताया है। ईरानी सेना के अनुसार, इजरायल की ओर से सीरिया में स्थित एक सैन्य अड्डे पर हाल ही में हमला किया गया था जिसमें ईरान के कुछ शीर्ष सैन्य अधिकारी मारे गए। इसके बाद ईरान ने सीधे इजरायल पर हमला करने की योजना बनाई।
ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की तरफ से जारी बयान में कहा गया:
“हमारे शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। तेल अवीव पर हमला हमारी ताकत और जवाबी हिम्मत का प्रतीक है।”
इजरायल की प्रतिक्रिया और वैश्विक चिंता
इजरायल ने भी इस हमले के तुरंत बाद जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा:
“यह युद्ध की शुरुआत हो सकती है। हमने हमेशा की तरह अपने नागरिकों की रक्षा की है और अब हम चुप नहीं बैठेंगे।”
इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने सेना को अलर्ट पर डाल दिया है और संभावित जमीनी हमले की तैयारी शुरू कर दी गई है।
वहीं अमेरिका, रूस, फ्रांस, भारत सहित कई देशों ने इस संघर्ष को लेकर चिंता जताई है और संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक भी बुलाई गई है।
तेल अवीव की ज़िंदगी ठहर सी गई है
हमले के बाद पूरे तेल अवीव शहर में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं, बाजारों में सन्नाटा है और लोग घरों या बंकरों में छिपे हुए हैं। सेना और मेडिकल टीमें सतर्कता से गश्त कर रही हैं। बचाव कार्य जारी हैं और घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।
क्या यह एक बड़े युद्ध की शुरुआत है?
मध्य पूर्व हमेशा से संघर्षों का केंद्र रहा है, लेकिन इस बार का टकराव कहीं अधिक खतरनाक दिख रहा है। दोनों देशों के पास आधुनिक हथियार हैं और इस जंग के फैलने का खतरा अन्य देशों पर भी मंडरा रहा है। अगर यह लड़ाई आगे बढ़ती है, तो यह न केवल इजरायल और ईरान बल्कि पूरे विश्व के लिए आर्थिक और मानवीय संकट ला सकती है।
आम लोगों की ज़िंदगी दांव पर
इस संघर्ष में सबसे ज्यादा कीमत आम लोग चुका रहे हैं। बच्चे, महिलाएं और बुज़ुर्गों के लिए यह समय बेहद भयावह है। आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है और अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता पड़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व नेताओं से उम्मीद
अब सभी की निगाहें अंतरराष्ट्रीय नेताओं और संगठनों पर हैं। क्या वे इस आग को और फैलने से रोक पाएंगे? या फिर दुनिया एक और लंबी, दर्दनाक लड़ाई का गवाह बनने जा रही है?
निष्कर्ष
ईरान-इजरायल युद्ध की शुरुआत में जो मिसाइलों की बौछार देखी गई है, वो केवल एक चेतावनी है कि हालात कितने गंभीर हो सकते हैं। आज तेल अवीव कांप रहा है, कल और कौन-कौन इस युद्ध की चपेट में आएगा, ये सोच कर ही रूह कांप जाती है। वक्त की जरूरत है — संवाद, संयम और शांति।