
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें न्यूजर्सी के एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक भारतीय छात्र के साथ अमानवीय व्यवहार होते देखा जा सकता है। यह वीडियो न केवल लोगों की संवेदनाओं को झकझोर रहा है, बल्कि प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और उनके मानवाधिकारों को लेकर भी गहरी चिंता पैदा कर रहा है।
वीडियो में साफ देखा गया कि कैसे एक युवा भारतीय छात्र को पूछताछ के नाम पर घंटों तक बैठाया गया, उसके साथ कठोर भाषा में बातचीत की गई और कथित रूप से उसके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया। छात्र visibly थका हुआ और डरा हुआ नजर आ रहा था। बताया जा रहा है कि छात्र ने यूनाइटेड स्टेट्स में मास्टर्स डिग्री के लिए हाल ही में दाखिला लिया था और यह उसकी पहली इंटरनेशनल यात्रा थी।
ऐसा पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई प्रवासी भारतीयों ने अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों के एयरपोर्ट्स पर भेदभावपूर्ण व्यवहार की शिकायतें की हैं। कुछ मामलों में यह व्यवहार नस्लीय पूर्वाग्रह का हिस्सा माना गया है, तो कुछ मामलों में यह विदेशी नागरिकों के प्रति कठोर सुरक्षा प्रक्रियाओं का नतीजा रहा है।
मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि किसी भी छात्र या नागरिक के साथ इस तरह का व्यवहार, चाहे वह किसी भी देश का हो, मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है। भारतीय छात्र जब शिक्षा और विकास की तलाश में विदेश जाते हैं, तो उन्हें सुरक्षा, सम्मान और समानता मिलनी चाहिए, न कि भय, अपमान और असमान व्यवहार।
भारत सरकार ने भी इस वायरल वीडियो का संज्ञान लिया है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के दूतावास से रिपोर्ट मांगी है और छात्र की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए तत्काल कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। इसके साथ ही भारतीय समुदाय से भी आग्रह किया गया है कि वे ऐसे मामलों की सूचना तुरंत दें ताकि उचित कदम उठाए जा सकें।
प्रवासी भारतीय हमारे देश की पहचान और शक्ति का अहम हिस्सा हैं। उनका आत्मसम्मान और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी भारतीय नागरिक के साथ उसके मूल या रंग के आधार पर अमानवीय व्यवहार न किया जाए।
यह घटना इस ओर इशारा करती है कि अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में भारतीयों को सिर्फ उनकी नागरिकता या रंग के आधार पर संदेह की नज़र से देखा जाता है। हमें न केवल ऐसी घटनाओं का विरोध करना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज़ उठाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसा फिर कभी न हो।
निष्कर्ष
न्यूजर्सी एयरपोर्ट पर भारतीय छात्र के साथ हुआ व्यवहार केवल एक व्यक्ति की बात नहीं है, यह हर उस भारतीय के लिए एक चेतावनी है जो विदेशों में शिक्षा, रोजगार या यात्रा के लिए जाते हैं। यह समय है कि हम न केवल इस घटना को गंभीरता से लें, बल्कि प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। मानवाधिकार केवल दस्तावेजों तक सीमित न रहें, बल्कि ज़मीनी हकीकत बनें।