
पाकिस्तान बार-बार न्यूक्लियर बटन की धमकी देता है, लेकिन इस देश के खेतों में न पानी है, न बिजली। किसान बेहाल हैं, और हुकूमत ट्विटर पर जंग जीत रही है। जानिए कैसे आतंकी देश की कमर टूटने लगी है।
Pakistan Water Crisis: परमाणु बम की धमकी देने वाले देश के खेतों में न पानी है, न बिजली, किसान बेहाल हो चुके हैं। भारत के खिलाफ आखिर हजारों साल तक जंग लड़ने की कसम खाने वाले आतंकी देश पाकिस्तान ने अभी से भारत के सख्त फैसले की तपिश झेलनी शुरू कर दी है। सिंधु जल संधि स्थगित करने का असर तो फिलहाल नहीं दिखेगा, लेकिन दूसरे बांधों से पानी की सप्लाई कम होने से उसकी हालत पतली होने लगी है। जानिए कैसे टूट रही पाकिस्तान की कमर और आगे क्या मुश्किलें उसके सामने आने वाली हैं।
किसानों को धान की नर्सरी लगाने से भी रोका
पाकिस्तान में पानी की किल्लत ऐसी कि अब किसानों को धान की नर्सरी लगाने से भी रोका गया है। किसानों को 20 मई तक रोका गया है। उसका डर साफ है। पाक सरकार ने अपने ही किसानों से कह दिया है कि 20 मई तक धान की रोपाई न करें। वजह ये है कि सिंचाई के लिए पानी ही नहीं बचा। सिंध और पंजाब प्रांतों में पानी का स्तर इतना गिर चुका है कि सरकार को खेतों में बीज लगाने से पहले ही हाथ खड़े करने पड़े।
परमाणु बम की धमकी, लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं
खास बात ये है कि पाकिस्तान बार-बार न्यूक्लियर बटन की धमकी देता है, लेकिन इस देश के खेतों में न पानी है, न बिजली। किसान बेहाल हैं, और हुकूमत ट्विटर पर जंग जीत रही है। मंत्री आए दिन भारत को गीदड़भभकी दे रहे हैं। पाकिस्तानी नेता नकली शेखी छोड़ने को तैयार ही नहीं हैं। पानी की किल्लत हुई तो अब किसानों को रोक रहे हैं। किसानों के लिए न बिजली है, न पानी, और ऊपर से मौसम भी रूठा हुआ है।
भारत ने बगलिहार बांध के गेट को बंद किया
भारत ने बगलिहार बांध के गेट बंद कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। भारत ने चिनाब नदी का प्रवाह पाकिस्तान की ओर कम कर दिया है जिसका असर दिखने लगा है। इससे वहां की कृषि और स्थानीय आबादी पर गंभीर असर पड़ेगा। भारत किशनगंगा बांध के जरिए झेलम नदी के पानी को नियंत्रित करने की योजना बना रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की हालत और बिगड़नी तय है। पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के तहत चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी मिलता है। भारत ने जल संधि निलंबित कर पाकिस्तान की रीढ़ की हड्डी पर वार किया है जिससे वह बिलबिला उठा है।
लंबी चर्चा और हाइड्रोलॉजिकल परीक्षण के बाद भारत ने बगलिहार बांध से गाद निकालने का काम शुरू कर दिया है और स्लुइस गेट नीचे कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का बहाव 90% तक कम हो गया है। वहीं, किशनगंगा बांध के लिए भी इसी तरह के अभियान की योजना बनाई गई है यह जानकारी नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन के एक अधिकारी ने दी। नाम न बताने की शर्त पर एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि हमने बगलिहार जल विद्युत परियोजना के द्वार बंद कर दिए हैं। हमने जलाशय से गाद निकालने का काम किया था और इसे फिर से भरना है।
कैसे टूटेगी पाक की कमर
दरअसल, चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में सिंचाई का सबसे अहम जरिया है। ये नदी पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था का आधार हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रांतों में कृषि पाकिस्तान की जीडीपी में 21% योगदान देती है। अगर पानी पूरी तरह बंद हो जाए तो पाकिस्तान में त्राहिमाम मचना तय है। किसानों पर असर अभी से दिखने लगा है। इसके अलावा किशनगंगा बांध पर भी बहुत जल्द बड़े पैमाने पर रखरखाव का काम शुरू होगा और इससे नीचे की ओर बहने वाले सभी पानी को रोक दिया जाएगा। साफ है कि आने वाले दिन पाकिस्तान के लिए बेहद मुश्किल भरे हैं।
भारत को ऐसे होगा फायदा
बगलिहार बांध जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर स्थित है और यह भारत के लिए सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है। इसके गेट बंद करने से जम्मू-कश्मीर में बिजली उत्पादन में इजाफा होगा। यह इलाका सर्दियों में बिजली की भारी किल्लत से जूझता है। पानी रोकने के बाद ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा जिसका सीधा फायदा स्थानीय लोगों को बिजली की किल्लत से राहत के रूप में मिलेगा।