
ग्लोबल एजेंडे में भारत की भूमिका पर सबकी नजरें, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताओं का दौर शुरू
कनाडा में भव्य स्वागत, भारत का बढ़ता कद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेने के लिए आज कनाडा के टोरंटो एयरपोर्ट पहुंचे। उनके आगमन पर कनाडाई अधिकारियों और भारतीय राजनयिकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस यात्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा जैसे मुद्दे गंभीर मोड़ पर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को इस बार G7 सम्मेलन में विशेष आमंत्रित राष्ट्राध्यक्ष के रूप में बुलाया गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय ताकत नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक नीतियों में एक मजबूत भागीदार बन चुका है।
भारत की प्राथमिकताएं: वैश्विक दक्षिण की आवाज
प्रधानमंत्री मोदी इस बार के सम्मेलन में ‘ग्लोबल साउथ’ यानी विकासशील देशों की समस्याओं को वैश्विक मंच पर मजबूती से उठाने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने भारत छोड़ने से पहले बयान दिया था, “भारत इस मंच पर सिर्फ अपनी बात नहीं रखेगा, बल्कि उन करोड़ों लोगों की आवाज भी बनेगा जो अभी भी गरीबी, जलवायु संकट और असमानता से जूझ रहे हैं।”
G7 की चर्चाओं में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, तकनीकी सहयोग, आतंकवाद, यूक्रेन संकट और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता जैसे मुद्दे शामिल हैं। ऐसे में भारत की स्थिति और सुझावों को बड़े ध्यान से सुना जाएगा।
द्विपक्षीय मुलाकातों की शुरुआत
सम्मेलन से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से एक सौहार्दपूर्ण भेंट हुई। दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा व्यापार संबंधों, शिक्षा, और प्रवासी भारतीयों की भूमिका जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। इसके अलावा जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ भी मोदी की मुलाकातें तय हैं।
इन बैठकों में आर्थिक सहयोग, रक्षा साझेदारी, तकनीकी निवेश और वैश्विक आपूर्ति शृंखला की मजबूती पर खास फोकस रहेगा। यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधियों से भी भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा संभावित है।
जलवायु और ऊर्जा पर भारत का पक्ष
G7 में इस बार जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है। भारत, जो सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन तकनीक में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, इस मंच पर अपने सफल अभियानों जैसे “इंटरनेशनल सोलर अलायंस” और “मिशन लाइफ” को प्रमोट करेगा।
मोदी सरकार का मानना है कि विकासशील देशों को जलवायु लक्ष्य पाने के लिए फंडिंग और तकनीक की सुलभता जरूरी है। इसलिए वे विकसित देशों से “फाइनेंस एंड टेक ट्रांसफर” पर ठोस प्रतिबद्धता की मांग करेंगे।
भारत की वैश्विक छवि को मजबूती
G7 सम्मेलन भारत के लिए केवल एक मंच नहीं, बल्कि अपनी वैश्विक नेतृत्व क्षमता दिखाने का अवसर भी है। ऐसे समय में जब कई देशों में नेतृत्व अस्थिर है, मोदी की स्पष्ट और सक्रिय विदेश नीति भारत को भरोसेमंद भागीदार के रूप में स्थापित कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी भारत की भूमिका को गंभीरता से देखा जा रहा है। कनाडा के प्रमुख अखबार ‘The Globe and Mail’ ने लिखा, “भारत अब वैश्विक वार्तालाप का केंद्र बन चुका है और उसके प्रधानमंत्री आज के युग के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं।”
भारतीय समुदाय में उत्साह
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन को लेकर कनाडा में बसे भारतीय समुदाय में जबरदस्त उत्साह है। टोरंटो और ओटावा में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें मोदी हिस्सा ले सकते हैं। इसके अलावा वे टोरंटो में भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के प्रतिनिधिमंडल से भी मिलेंगे।
निष्कर्ष: नई दिशा की ओर भारत
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक औपचारिक भागीदारी नहीं है, बल्कि यह भारत के बढ़ते प्रभाव, सोच और दायित्व को दुनिया के सामने रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। G7 जैसे मंच पर भारत की भागीदारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि आने वाला दशक भारत का दशक हो सकता है — एक ऐसा भारत जो अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर पूरी मानवता के लिए सोचता है, योजना बनाता है और समाधान प्रस्तुत करता है।
विश्व नेताओं के साथ संवाद, वैश्विक मुद्दों पर ठोस चर्चा, और भारत की सकारात्मक छवि — यही इस यात्रा की असली सफलता होगी।