
भारत सरकार ने फिर साबित किया—हर नागरिक की सुरक्षा सर्वोपरि है
ईरान-इज़रायल तनाव के बीच भारत का त्वरित एक्शन
ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालातों के बीच, हजारों विदेशी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी बीच भारत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि संकट की घड़ी में वह अपने नागरिकों को कभी अकेला नहीं छोड़ता। ईरान में फंसे 110 भारतीय छात्रों को भारत सरकार के राहत अभियान के तहत सुरक्षित अर्मेनिया पहुंचा दिया गया है, जहां से वे जल्द ही भारत के लिए रवाना होंगे।
इन छात्रों की वतन वापसी न सिर्फ उनके परिवारों के लिए राहत की खबर है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति और मानवीय दृष्टिकोण का प्रतीक भी बन गई है।
राहत अभियान का संचालन: विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास का तालमेल
भारत सरकार के राहत अभियान की अगुवाई विदेश मंत्रालय द्वारा की गई, जिसमें तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने अहम भूमिका निभाई। जैसे ही ईरान और इज़रायल के बीच सैन्य तनाव बढ़ा और मिसाइल हमले की ख़बरें आने लगीं, भारतीय दूतावास ने तत्काल सभी भारतीय छात्रों से संपर्क साधा।
छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया और फिर विशेष बसों के ज़रिए उन्हें ईरान की सीमा पार अर्मेनिया ले जाया गया। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय अधिकारियों की निगरानी में बेहद सतर्कता और रणनीति के साथ अंजाम दी गई।
अर्मेनिया में छात्रों की प्राथमिक देखभाल और राहत
अर्मेनिया पहुंचने के बाद भारतीय छात्रों को तात्कालिक भोजन, चिकित्सा सुविधा और अस्थायी आवास मुहैया कराया गया। अर्मेनिया में स्थित भारतीय मिशन ने सभी छात्रों का स्वागत करते हुए उनकी सुरक्षा और सुविधा का पूरा ख्याल रखा।
बचाए गए छात्रों में अधिकतर ईरान के मशहद, तेहरान और इस्फहान शहरों में मेडिकल और टेक्निकल कोर्सेज कर रहे थे। इन छात्रों ने भी राहत की सांस ली और भारत सरकार के प्रति आभार जताया। छात्रों ने साझा किया कि विस्फोटों और धमाकों की आवाज़ें सुनना उनके लिए डरावना अनुभव था, लेकिन जैसे ही भारतीय अधिकारियों ने उन्हें सूचना दी कि उन्हें निकाला जा रहा है, उन्हें एक उम्मीद की किरण नजर आई।
दिल्ली के लिए रवाना होने की तैयारी
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, सभी 110 छात्र कल अर्मेनिया की राजधानी येरेवन से एक चार्टर्ड फ्लाइट के ज़रिए दिल्ली के लिए रवाना होंगे। इस विशेष फ्लाइट की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा की गई है, जिसमें छात्रों को बिना किसी अतिरिक्त खर्च के भारत लाया जाएगा।
सरकार के इस कदम से न केवल छात्रों को राहत मिली है, बल्कि देशवासियों को भी भरोसा हुआ है कि भारत दुनिया के किसी भी कोने में फंसे अपने नागरिकों के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।
प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने जताई प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में इस अभियान पर बयान जारी करते हुए कहा कि भारत हर हाल में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर और भी निकासी अभियानों को अंजाम दिया जाएगा।
सरकार की यह सक्रियता यह दर्शाती है कि वह न सिर्फ घरेलू मामलों में सतर्क है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संकट की स्थिति में भी निर्णायक कदम उठाने में सक्षम है।
परिवारों की भावनात्मक प्रतिक्रिया
भारत लौटने की सूचना मिलते ही छात्रों के परिवारों की आंखों में आंसू छलक आए। कई माता-पिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे लगातार सरकार और मीडिया के ज़रिए स्थिति पर नज़र रखे हुए थे। जैसे ही खबर आई कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं और जल्द ही घर लौटेंगे, वह क्षण उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
निष्कर्ष: एकजुटता और जिम्मेदारी का प्रतीक
भारत सरकार द्वारा चलाया गया यह राहत अभियान एक बार फिर यह सिद्ध करता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानता है। ईरान में बिगड़ते हालात के बीच जिस तत्परता और संयम के साथ यह ऑपरेशन अंजाम दिया गया, वह सराहनीय है।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार की आपदा प्रबंधन क्षमता, विदेश नीति का मानवीय पहलू, और विश्व स्तर पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा अब एक वास्तविकता बन चुकी है। यह राहत अभियान न सिर्फ छात्रों के लिए एक जीवनरक्षक बनकर आया, बल्कि यह भी दिखाया कि “जहां भी होगा कोई भारतीय, वहां पहुंचेगा भारत।”