
शिमला: जब इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके की रहने वाली दामिनी सिंह बराड़ ने इस बात को एक बार फिर सच कर दिखाया है। बिना किसी कोचिंग की मदद लिए, सिर्फ खुद की लगन और योजना के दम पर दामिनी ने IIT पीएचडी एंट्रेंस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक-1 हासिल कर इतिहास रच दिया है। अब वे IIT कानपुर से मनोविज्ञान में पीएचडी करेंगी।
लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों में टॉप रैंक
26 वर्षीय दामिनी ने IIT कानपुर की पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिखित और साक्षात्कार दोनों चरणों में टॉप किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने 2024 में पहली ही कोशिश में UGC-NET (Psychology) भी पास किया और साथ ही NIMHANS बेंगलुरु की परीक्षा में भी इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट हुईं।
सिर्फ 2 से 4 घंटे की पढ़ाई, फिर भी हासिल की असाधारण सफलता
दामिनी बताती हैं कि उन्होंने पूरे दिन पढ़ने का कभी दबाव नहीं लिया। बल्कि, रोजाना सिर्फ 2 से 4 घंटे की फोकस्ड सेल्फ-स्टडी के जरिए अपनी तैयारी पूरी की। पढ़ाई के दौरान मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए वह नियमित योग, वॉक और दोस्तों से बातचीत जैसे उपाय अपनाती थीं।
बिना कोचिंग की पढ़ाई, शिक्षा में निरंतर उत्कृष्टता
दामिनी का शैक्षणिक सफर भी बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन से अंग्रेज़ी ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया है और फिर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (TISS), मुंबई से एप्लाइड साइकोलॉजी में मास्टर्स की डिग्री ली। इससे पहले वह शिमला में 12वीं बोर्ड की टॉपर भी रह चुकी हैं। खास बात यह है कि उन्होंने आज तक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग नहीं ली।
साधारण परिवार से निकलकर असाधारण उपलब्धि
दामिनी एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। उनके पिता राजनीश बराड़, शिमला नगर निगम में स्वच्छता निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं, जबकि मां मीरा बराड़ गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बीच पली-बढ़ी दामिनी ने परिवार और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है।
लाखों छात्रों के लिए बनीं प्रेरणा
दामिनी की यह सफलता उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि सफलता के लिए महंगी कोचिंग ज़रूरी है। उन्होंने साबित कर दिया कि लगन, आत्मविश्वास और अनुशासन से किसी भी मुकाम को पाया जा सकता है।