
भारत के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। लखनऊ के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, एक्सिओम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हो चुके हैं। ये पल न सिर्फ देश के लिए गर्व का है, बल्कि उनके परिवार के लिए भी बेहद खास है। इस मौके पर उनके पिता ने आजतक से बात करते हुए शुभांशु के बचपन के सपनों और उनकी मेहनत की कहानी साझा की।
सिविल सेवा से लेकर अंतरिक्ष तक का सफर
शुभांशु शुक्ला के पिता ने बताया कि शुरुआत में शुभांशु का सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था। लेकिन समय के साथ उसका रुझान वायुसेना की ओर बढ़ा और वहां से उसका सफर अंतरिक्ष की ओर चल पड़ा। उनके पिता ने कहा, “हमने कभी उसे रोका नहीं, उसने जो भी करना चाहा, हमने हमेशा उसका साथ दिया।”
शुभांशु की इस यात्रा में उनके परिवार ने हर कदम पर उसका समर्थन किया। पिता ने बताया कि शुभांशु बचपन से ही अनुशासित और मेहनती था। चाहे पढ़ाई हो या फिजिकल ट्रेनिंग – वह हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर रहता था।
एक बेटे पर देश को गर्व
आज जब शुभांशु ने अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी, तो उनके माता-पिता की आंखों में गर्व और भावुकता साफ दिखी। उनकी मां ने कहा, “जब हमने उसे स्पेस सूट में देखा तो विश्वास नहीं हुआ कि हमारा बेटा इतना ऊंचा पहुंच गया है।”
अंतरिक्ष की ओर बढ़ता भारत
शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है। वह न सिर्फ एक सैनिक हैं, बल्कि अब वह अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके इस सफर ने दिखा दिया कि अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है।