
राजनीति में जब आंकड़े और हकीकत टकराते हैं, तब सवाल उठाने वाले ज़रूरी हो जाते हैं। हाल ही में कांग्रेस की युवा नेता महिमा सिंह ने केंद्र सरकार की लोकप्रिय योजनाओं — पीएम किसान सम्मान निधि और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों — को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी के द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों को “झूठ की बुनियाद” बताया है।
महिमा सिंह का कहना है कि सरकार ने जिन योजनाओं को ग्रामीण भारत की रीढ़ बताया, वे ज़मीन पर वैसी दिखाई नहीं देतीं। पीएम किसान योजना के तहत सालाना ₹6,000 देने की बात तो की जाती है, लेकिन लाखों पात्र किसानों को अब भी इसका लाभ नहीं मिल रहा। कहीं आधार लिंक की समस्या है, तो कहीं स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार।
महिला सशक्तिकरण के मोर्चे पर भी महिमा सिंह ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार में सुधार की बड़ी-बड़ी बातें तो होती हैं, लेकिन हालात अब भी ज्यों के त्यों हैं। उन्होंने सवाल किया कि यदि महिला सशक्तिकरण में इतनी प्रगति हुई है, तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार इज़ाफा क्यों हो रहा है?
महिमा सिंह का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक तंज नहीं, बल्कि उन लोगों की आवाज़ है जो योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश को सिर्फ प्रचार नहीं, प्रभावशाली क्रियान्वयन की ज़रूरत है।
साफ है कि सरकार के आंकड़े एक चमकदार तस्वीर तो दिखाते हैं, लेकिन हकीकत में कई लोगों के जीवन में अब भी बदलाव की रौशनी पहुंचनी बाकी है।