
ईरान-इज़राइल युद्ध आठवें दिन पहुंचा, सीजफायर की कोई संभावना नहीं
यरुशलम/तेहरान/वॉशिंगटन: ईरान और इज़राइल के बीच छिड़ी जंग आज (20 जून, शुक्रवार) को आठवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। दोनों देशों के बीच हवाई हमलों का सिलसिला लगातार जारी है और अब तक सीजफायर की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। शुक्रवार को दक्षिण इज़राइल में एक ईरानी मिसाइल गिरने की पुष्टि हुई है, जिससे एक अस्पताल में भारी नुकसान हुआ है।
इज़राइल की ओर से ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों और औद्योगिक क्षेत्रों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, वहीं ईरान की मिसाइलें इज़राइली रिहायशी इलाकों और स्वास्थ्य सुविधाओं को भी निशाना बना रही हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्या अमेरिका जंग में कूदेगा? ट्रंप लेंगे बड़ा फैसला
इस संघर्ष के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका इस युद्ध में हस्तक्षेप करेगा। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो सप्ताह के भीतर यह फैसला लेंगे कि अमेरिका इस युद्ध में सीधे शामिल होगा या कूटनीतिक रास्ता अपनाएगा। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि अभी “राजनयिक समाधान की संभावनाएं बनी हुई हैं।”
जिनेवा में वार्ता की कोशिश, ईरान के विदेश मंत्री पहुंचेंगे
जंग को रोकने और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता के प्रयास भी जारी हैं। ईरान के विदेश मंत्री आज जिनेवा में फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के अपने समकक्षों के साथ एक अहम बैठक करने वाले हैं। इस बातचीत का उद्देश्य संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त करने की संभावनाओं की तलाश करना है।
आम नागरिक बने सबसे बड़ी कीमत चुकाने वाले
दोनों देशों के हमलों में अब तक सैकड़ों आम नागरिक घायल हो चुके हैं और दर्जनों की जान जा चुकी है। बमबारी स्कूलों, अस्पतालों और बाजारों तक पहुंच चुकी है। संयुक्त राष्ट्र और कई वैश्विक संस्थाएं मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर चिंता जता रही हैं।
अब तक का घटनाक्रम संक्षेप में:
- ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध का आठवां दिन
- ईरानी मिसाइल दक्षिण इज़राइल के एक अस्पताल पर गिरी, बड़ा नुकसान
- इज़राइली हमले ईरान के परमाणु और औद्योगिक ठिकानों पर केंद्रित
- डोनाल्ड ट्रंप दो हफ्तों में लेंगे अमेरिका की भूमिका पर अंतिम निर्णय
- ईरान के विदेश मंत्री जिनेवा में वार्ता के लिए यूरोपीय नेताओं से मिलेंगे
- रिहायशी इलाकों में हमलों से आम नागरिकों में दहशत, भारी नुकसान
यह युद्ध अब केवल दो देशों का सैन्य संघर्ष नहीं रह गया, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। आने वाले दिनों में अमेरिकी भूमिका और कूटनीतिक प्रयासों पर दुनिया की नजरें टिकी रहेंगी।