
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पाकिस्तान को एक कड़ा और निर्णायक संदेश देते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सांबित पात्रा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि यह फैसला उस देश के लिए है, जो आतंकवाद का पर्याय बन चुका है। पात्रा ने प्रधानमंत्री के शब्द दोहराते हुए कहा – “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
यह फैसला भारत की उस नीति में बड़ा परिवर्तन दर्शाता है, जो अब तक संयम और सहनशीलता पर आधारित रही थी। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत भारत तीन नदियों का जल पाकिस्तान को देता रहा, बावजूद इसके कि पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता रहा। अब भारत ने साफ कर दिया है कि जो देश हमारे सैनिकों का खून बहाता है, उसे हमारे संसाधनों पर कोई अधिकार नहीं।
इस कदम से पाकिस्तान को रणनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है, वहीं भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। देशभर में इस निर्णय का स्वागत किया जा रहा है और इसे ‘नए भारत’ की आक्रामक और आत्मनिर्भर नीति का प्रतीक माना जा रहा है।