गृह मंत्रालय ने 2027 की जनगणना को दो चरणों में कराने की अधिसूचना जारी की। विवरण देखें

  • June 16, 2025
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भारत की अगली जनगणना को लेकर बड़ी घोषणा
गृह मंत्रालय ने 2027 में होने वाली भारत की जनगणना को लेकर एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है, जिसमें इस बार जनगणना दो चरणों में कराए जाने की योजना का उल्लेख किया गया है। यह अधिसूचना लंबे समय से रुकी हुई जनगणना प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दी गई थी, जिससे यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ कि तय समय पर जनगणना नहीं हो पाई। अब 2027 की जनगणना को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय सरकार की रणनीतिक और व्यवस्थित योजना को दर्शाता है।

पहला चरण: हाउसलिस्टिंग और घरों की गणना
जनगणना के पहले चरण में देशभर में घरों की संख्या, उनकी संरचना, सुविधाएं और जनजीवन की आधारभूत जानकारी एकत्र की जाएगी। इसे “हाउस लिस्टिंग एंड हाउसिंग सेंसस” कहा जाता है। इस चरण का उद्देश्य यह जानना होगा कि भारत में कितने घर हैं, उनकी स्थिति कैसी है, क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, और किन इलाकों में बुनियादी संरचनाओं की आवश्यकता है।

इस बार यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें जनगणना कर्मी मोबाइल ऐप्स और टैबलेट का उपयोग कर डेटा एकत्र करेंगे। इससे पारदर्शिता और सटीकता दोनों सुनिश्चित की जाएंगी।

दूसरा चरण: जनगणना आंकड़े जुटाने का मुख्य कार्य
दूसरे चरण में जनसंख्या की संपूर्ण गणना की जाएगी जिसमें नागरिकों की आयु, लिंग, जाति, धर्म, शिक्षा, व्यवसाय, विकलांगता, मातृभाषा और आव्रजन जैसी जानकारी ली जाएगी। यह चरण भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना को जानने के लिए सबसे अहम है।

जनगणना केवल एक आंकड़ा संग्रह प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह नीति निर्धारण, योजना निर्माण और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण की नींव है। यही वजह है कि सरकार इसे एक संवेदनशील और वैज्ञानिक प्रक्रिया के रूप में संचालित करने जा रही है।

जनगणना 2027 की खासियतें
इस बार की जनगणना में डिजिटल माध्यम का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा। जनगणना अधिकारी मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से जानकारी दर्ज करेंगे, जिससे रियल टाइम डेटा उपलब्ध होगा। इसके साथ ही पहली बार जनगणना फॉर्म में कुछ नए बिंदु शामिल किए जाएंगे, जैसे कि डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट उपयोग, और घर में स्मार्टफोन की उपलब्धता आदि।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर राज्य में भाषा, संस्कृति और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाएगा ताकि किसी भी नागरिक को जानकारी देने में कठिनाई न हो।

केंद्र सरकार और राज्यों के बीच समन्वय
गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, जनगणना की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सटीक समन्वय स्थापित किया जाएगा। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे प्रशिक्षित जनगणना कर्मियों की नियुक्ति, डेटा संग्रहण के लिए आवश्यक तकनीकी संसाधन और नागरिकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाएं।

जनता की भूमिका और जागरूकता अभियान
सरकार ने जनगणना को सफल बनाने के लिए आम जनता से सहयोग की अपील की है। नागरिकों को यह समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे कि उनकी जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखी जाएगी और इसका उपयोग केवल सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए किया जाएगा।

लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा कि कैसे वे सही और पूरी जानकारी दें, ताकि देश की तस्वीर वास्तविक रूप में सामने आ सके और आगे की योजनाओं की नींव मजबूत हो।

भारत की जनगणना क्यों है विशेष?
भारत की जनगणना दुनिया की सबसे बड़ी जनगणना प्रक्रियाओं में से एक है, जो हर 10 साल में एक बार आयोजित की जाती है। 2021 की जनगणना महामारी के कारण स्थगित होने के बाद, 2027 की जनगणना से नागरिकों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं को बेहद महत्वपूर्ण सामाजिक व आर्थिक जानकारी प्राप्त होगी।

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जहां हजारों भाषाएं, सैकड़ों जातीय समूह और भिन्न-भिन्न जीवनशैली वाले नागरिक रहते हैं, वहां जनगणना न केवल संख्याओं का खेल है, बल्कि यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती देने वाला स्तंभ है।

निष्कर्ष
गृह मंत्रालय द्वारा 2027 की जनगणना को दो चरणों में कराने की अधिसूचना एक दूरदर्शी निर्णय है, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक योजनाएं और अधिक सटीकता से बनाई जा सकेंगी। डिजिटल और आधुनिक तरीकों का उपयोग इस प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगा। नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता ही इस जनगणना को सफल बनाने की कुंजी होगी।
इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना हर नागरिक का कर्तव्य है — क्योंकि यह केवल सरकार का कार्य नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है।