
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 12 से 17 जून के बीच देश के कई हिस्सों में भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की है। इस अलर्ट के मुताबिक, खासतौर पर उत्तर भारत, पूर्वोत्तर क्षेत्र और पश्चिमी घाट के राज्यों में मूसलधार बारिश हो सकती है। इस दौरान निचले इलाकों में जलजमाव, यातायात में बाधा, बिजली गिरने की घटनाएं और कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं।
IMD की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठ रही नमी के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार अपेक्षाकृत तेज गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि जून के मध्य में ही देश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश की संभावना जताई जा रही है।
विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे मैदानी राज्यों में भी गरज-चमक के साथ भारी वर्षा की आशंका जताई गई है।
इस अलर्ट के तहत मौसम विभाग ने स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को सतर्क रहने की अपील की है। स्कूलों और कॉलेजों को भी आवश्यक स्थिति में बंद करने का निर्णय स्थानीय प्रशासन पर छोड़ा गया है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे इस अवधि के दौरान खेतों में कोई भी बड़ी गतिविधि न करें और अपनी फसलों को सुरक्षित स्थानों पर रख लें।
आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार मानसून सामान्य से थोड़ा अधिक सक्रिय है और इसकी तीव्रता मध्य जून में काफी बढ़ने की संभावना है। मानसून की यह सक्रियता जहां एक ओर किसानों के लिए राहत की खबर लेकर आई है, वहीं शहरी क्षेत्रों में जलभराव और यातायात जाम जैसी दिक्कतें खड़ी कर सकती है।
भारी बारिश के कारण रेलवे और एयरलाइन सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है। विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में सड़क यातायात पूरी तरह से बाधित हो सकता है। प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि राहत और बचाव कार्य के लिए सभी संसाधनों को तैयार रखा जाए।
इसके अलावा, लोगों को सलाह दी गई है कि वे इस दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें, खासकर रात के समय। बिजली गिरने की घटनाओं के मद्देनज़र खुले क्षेत्रों में मोबाइल का उपयोग करने, पेड़ों के नीचे खड़े होने या खेतों में जाने से बचने की भी सलाह दी गई है।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार मानसून न केवल समय पर आया है बल्कि ज्यादा शक्तिशाली भी नजर आ रहा है। जलवायु परिवर्तन का असर भी इस बारिश के पैटर्न पर देखा जा सकता है, जिसमें एक ही समय में अधिक वर्षा की संभावना बढ़ गई है।
सरकार और स्थानीय निकायों को पहले से ही संभावित आपदाओं के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। राहत शिविर, मेडिकल सुविधा, जल निकासी सिस्टम और बिजली आपूर्ति पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है ताकि जनजीवन सामान्य बना रह सके।
इन सबके बीच राहत की बात यह है कि लम्बे समय से गर्मी और लू से जूझ रहे लोगों को इस बारिश से बड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन यह राहत तभी सुखद होगी जब इसके साथ सजगता और सतर्कता भी बरती जाए।
निष्कर्ष:
12 से 17 जून के बीच देशभर में भारी बारिश की संभावना ने जहां राहत की उम्मीदें जगाई हैं, वहीं इसके खतरे को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है। IMD की चेतावनी को गंभीरता से लेना जरूरी है। सुरक्षित रहें, जरूरी सावधानियां बरतें और मौसम की ताजा जानकारी पर नजर रखें, ताकि इस प्राकृतिक बदलाव को सकारात्मक रूप से लिया जा सके।