
समाजवादी पार्टी में शोक की लहर
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता छोटे सिंह यादव के निधन की खबर से पार्टी और उनके समर्थकों में गहरा शोक फैल गया है। वे समाजवादी विचारधारा के मजबूत स्तंभ माने जाते थे और लंबे समय तक नेताजी मुलायम सिंह यादव के सबसे भरोसेमंद साथियों में गिने जाते रहे। उनका निधन सिर्फ एक राजनेता के जाने की खबर नहीं है, बल्कि एक ऐसे जननायक की विदाई है, जो ज़मीन से जुड़ा था और जनता की आवाज़ बनकर राजनीति करता था।
राजनीतिक सफर जो प्रेरणा बना
छोटे सिंह यादव का राजनीतिक सफर साधारण पृष्ठभूमि से शुरू होकर समाजवादी आंदोलन के केंद्र तक पहुँचा। उन्होंने हमेशा किसानों, मज़दूरों, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज बुलंद की। वे न केवल संगठनात्मक कार्यों में निपुण थे, बल्कि चुनावी राजनीति में भी उनकी पकड़ मजबूत थी। उन्होंने कई बार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए रणनीतिक भूमिका निभाई और कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय नेता बने रहे।
अखिलेश यादव ने जताया गहरा दुख
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने छोटे सिंह यादव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा:
“छोटे सिंह यादव जी नेताजी के सबसे भरोसेमंद साथियों में से थे। वे समाजवादी विचारधारा के सच्चे सिपाही थे। उनके अनुभव और मार्गदर्शन से पार्टी को हमेशा लाभ मिला। यह क्षति अपूरणीय है।”
अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा के दौरान उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि छोटे सिंह यादव का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
जनता से गहरा जुड़ाव
छोटे सिंह यादव की सबसे बड़ी ताकत उनका जनसंपर्क और जमीनी जुड़ाव था। वे आम लोगों के बीच सहजता से मिलते-जुलते थे और लोगों की समस्याओं को सड़कों से संसद तक ले जाते थे। यही कारण था कि वे केवल एक राजनेता नहीं बल्कि जनता के नेता थे। चाहे पंचायत का मुद्दा हो या प्रदेश स्तर की नीति, उन्होंने सदैव निचले तबके की आवाज़ को मंच दिया।
नेताजी के साथ निभाई लंबी राजनीतिक यात्रा
मुलायम सिंह यादव के साथ उनका जुड़ाव बेहद भावनात्मक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर मजबूत था। नेताजी के संघर्ष के दिनों में छोटे सिंह यादव ने पार्टी संगठन को गांव-गांव तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे हमेशा सादगी, ईमानदारी और विचारधारा के प्रति निष्ठा के प्रतीक रहे। नेताजी खुद उन्हें “निष्ठावान समाजवादी” कहकर संबोधित करते थे।
पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी
उनके निधन की खबर सुनकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में गहरा दुख है। कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर उनके साथ बिताए पलों को साझा किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। पार्टी के विभिन्न जिलों में शोक सभाओं का आयोजन किया गया जहां कार्यकर्ताओं ने उन्हें याद किया और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय राजनीति में भी थी पहचान
छोटे सिंह यादव केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति तक सीमित नहीं थे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी आंदोलन के चेहरे के रूप में भी पहचाने जाते थे। उन्होंने कई बार संसद में सामाजिक न्याय, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया। वे उन नेताओं में से थे जो किसी पद या प्रचार के पीछे नहीं भागे, बल्कि संगठन को मजबूत करने को ही अपना उद्देश्य माना।
सादगी और संघर्ष की पहचान
उनकी सादगी और संघर्षशीलता ने उन्हें आमजन से जोड़े रखा। वे नेता कम और समाजसेवी अधिक दिखते थे। उनकी जीवनशैली में दिखावा नहीं था। वे हमेशा पार्टी की मजबूती और संगठन के विस्तार पर ध्यान देते रहे।
निधन से उपजा शून्य
छोटे सिंह यादव के जाने से समाजवादी पार्टी में एक ऐसा शून्य उत्पन्न हो गया है जिसे भरना आसान नहीं होगा। उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ, कार्यकर्ताओं के साथ मजबूत संवाद और वरिष्ठ नेतृत्व से तालमेल पार्टी को लगातार दिशा देता रहा। आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, उनकी कही बातें, उनके फैसले और उनका समर्पण हमेशा पार्टी के मार्गदर्शन के रूप में याद रखा जाएगा।
निष्कर्ष: एक युग का अंत
छोटे सिंह यादव का जाना सिर्फ एक नेता का जाना नहीं है, बल्कि एक विचार, एक संघर्ष, और एक परंपरा का विराम है। समाजवादी पार्टी, कार्यकर्ता और देश की राजनीति उनके योगदान को हमेशा याद रखेगी। आज जब अखिलेश यादव ने उन्हें “नेताजी का सबसे भरोसेमंद साथी” कहा, तो वह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक सच्चाई है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि वे छोटे सिंह यादव की आत्मा को शांति दें और उनके परिवार को इस कठिन समय में संबल प्रदान करें।