
विदेश में बसे भारतीयों ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। 2024 में उन्होंने भारत को रिकॉर्ड 135.46 अरब डॉलर की रेमिटेंस भेजी है। ये न सिर्फ अब तक की सबसे बड़ी रकम है, बल्कि भारत लगातार 10वें साल दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस पाने वाला देश बना है।
14% की जबरदस्त बढ़त, अमेरिका-ब्रिटेन का बड़ा योगदान
इस रेमिटेंस में 14% की ग्रोथ दर्ज की गई है, जिसके पीछे अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे विकसित देशों में भारतीय स्किल्ड वर्कर्स की बढ़ती तादाद है। RBI की ताजा बैलेंस ऑफ पेमेंट रिपोर्ट के मुताबिक, NRI की तरफ से भेजी गई रकम ‘प्राइवेट ट्रांसफर’ कैटेगरी में आती है और इसमें जबरदस्त उछाल देखने को मिला है।
2016-17 से दोगुनी हुई रेमिटेंस
अगर तुलना करें, तो 2016-17 में भारत को करीब 61 अरब डॉलर की रेमिटेंस मिली थी, जो अब दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी है। RBI के अनुसार, ये रकम भारत के कुल करंट अकाउंट इनफ्लो का 10% से ज्यादा है। FY 2023-24 के अंत तक देश का कुल इनफ्लो 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा।
भारत बना टॉप रेमिटेंस कंट्री
World Bank के डेटा के मुताबिक, भारत दुनिया का नंबर-1 रेमिटेंस पाने वाला देश रहा। मैक्सिको 68 अरब डॉलर के साथ दूसरे और चीन 48 अरब डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
क्या होता है रेमिटेंस?
रेमिटेंस वो पैसा होता है, जो विदेशों में बसे भारतीय अपने घर भेजते हैं। ये रकम आईएमएफ के मुताबिक दो कैटेगरी में आती है:
- Compensation of Employees
- Personal Transfers
भारत के केस में, पर्सनल ट्रांसफर का हिस्सा सबसे ज्यादा होता है, जिसमें घरेलू खर्च के लिए भेजी गई रकम और NRI अकाउंट्स से निकासी शामिल है।
तेल सस्ता, लेकिन पैसा ज्यादा!
IDFC First Bank की चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता के अनुसार, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट के बावजूद रेमिटेंस में बढ़त बनी रही, क्योंकि अब स्किल्ड भारतीय बड़ी संख्या में विकसित देशों में जा रहे हैं।
🇺🇸 कहां से आता है सबसे ज्यादा पैसा?
RBI रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से आने वाली रेमिटेंस का हिस्सा कुल का 45% है। वहीं GCC देशों (खाड़ी क्षेत्र) से आने वाली रकम में गिरावट आई है, क्योंकि वहां की आमदनी काफी हद तक तेल पर निर्भर करती है।
सर्विस सेक्टर भी नहीं पीछे
रेमिटेंस के अलावा, सॉफ्टवेयर और बिजनेस सर्विसेज से भी भारत को पिछले साल 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई हुई, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला एक और स्तंभ है।
FDI से भी ज्यादा है रेमिटेंस का योगदान
RBI के अनुसार, भारत को मिलने वाली रेमिटेंस, देश में आने वाले FDI (विदेशी निवेश) से कहीं ज्यादा है। यह एक स्थिर और भरोसेमंद वित्तीय सपोर्ट बना हुआ है। इतना ही नहीं, 2024 में भारत के 287 अरब डॉलर के व्यापार घाटे का 47% हिस्सा रेमिटेंस से कवर हुआ।
निष्कर्ष:
विदेशों में बसे भारतीय न सिर्फ परिवारों को सपोर्ट कर रहे हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत आधार दे रहे हैं। रेमिटेंस भारत की फाइनेंशियल रीढ़ बन चुकी है — और हर डॉलर एक नया विश्वास भी।