
नई दिल्ली/किंगदाओ:
भारत की वायु सुरक्षा को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। S-400 मिसाइल सिस्टम की बची हुई दो स्क्वॉड्रन अब जल्द ही भारत को मिलने जा रही हैं। रूस ने आखिरकार डिलीवरी के लिए हरी झंडी दे दी है।
ये जानकारी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 के दौरान भारत-रूस की रक्षा मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठक में सामने आई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉव की इस बैठक में द्विपक्षीय सैन्य सहयोग पर विस्तार से चर्चा हुई।
🇷🇺 अब तक तीन स्क्वॉड्रन की हो चुकी है डिलीवरी
भारत और रूस के बीच 2018 में ₹40,000 करोड़ की डील हुई थी जिसके तहत भारत को 5 स्क्वॉड्रन मिलने थे। अभी तक तीन स्क्वॉड्रन मिल चुकी हैं, जो पाकिस्तान और चीन से सटी सीमाओं पर तैनात हैं। बाकी दो स्क्वॉड्रन 2026-27 तक डिलीवर कर दी जाएंगी।
ऑपरेशन सिंदूर और S-400 की भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत ने सीमापार एक्शन लिया, S-400 ने दमदार प्रदर्शन किया। वहीं पाकिस्तान ने 7-10 मई के बीच फर्जी दावा किया कि उसने आदमपुर एयरबेस पर हमला किया। लेकिन 13 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद वहां जाकर S-400 लॉन्च व्हीकल के साथ तस्वीर खिंचवाई, जिससे पाक का झूठ उजागर हो गया।
S-400 की खासियत:
- एक स्क्वॉड्रन = 2 बैटरियां = 128 मिसाइलें
- रेंज: 120 से 380 किमी तक
- टारगेट्स: फाइटर जेट्स, बमवर्षक, ड्रोन, मिसाइलें
- एकीकृत एयर डिफेंस नेटवर्क में सबसे बाहरी सुरक्षा कवच
- हर मौसम में काम करने वाली लॉन्च और रडार यूनिट्स
भारत का ‘स्वदेशी S-400’: प्रोजेक्ट कुशा
भारत भी ‘प्रोजेक्ट कुशा’ पर काम कर रहा है — एक 350 किमी रेंज वाला मेड इन इंडिया एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे 2028-29 तक तैयार करने का लक्ष्य है। यह S-400 जैसा ही शक्तिशाली होगा और भारतीय वायुसेना की सुरक्षा को घरेलू तकनीक से मजबूत बनाएगा।
निष्कर्ष:
रूस से आने वाली S-400 की अंतिम खेप के साथ ही भारत की एयर डिफेंस क्षमता पूरी तरह से अभेद्य हो जाएगी। सीमाओं पर सतर्क निगरानी और दुश्मन के इरादों पर सटीक प्रहार अब और भी आसान होगा।