
त्रिपुरा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इसरो प्रमुख वी नारायणन ने बताया कि देशवासियों की सुरक्षा और राहत कार्यों में मदद के लिए 10 सैटेलाइट्स चौबीसों घंटे सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत को सुरक्षित रखने के लिए सैटेलाइट तकनीक बेहद जरूरी है. ये बयान ऐसे समय आया है जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी कुछ हद तक कम हुई है.
वी नारायणन ने अगरतला के पास स्थित सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए कहा, “अगर हमें अपने देश को सुरक्षित रखना है तो हमें सैटेलाइट्स का सहारा लेना होगा. हमारे पास 7,000 किलोमीटर लंबा समुद्री तट है, जिसे निगरानी में रखना जरूरी है. सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना कई जरूरी काम संभव नहीं हैं.”
उन्होंने बताया कि इसरो के उपग्रह न केवल सुरक्षा के क्षेत्र में बल्कि टेलीविजन प्रसारण, मौसम पूर्वानुमान, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, टेली-एजुकेशन, खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी आम लोगों के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं.
आपदा प्रबंधन में भी बताया कारगर
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उपग्रहों की भूमिका को अहम बताते हुए नारायणन ने कहा कि पहले प्राकृतिक आपदाओं में हजारों जानें जाती थीं, लेकिन अब तकनीक की मदद से स्थिति काफी सुधरी है. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1975 तक भारत के पास कोई सैटेलाइट नहीं था और हम तकनीक के मामले में कई देशों से पीछे थे.
इसरो प्रमुख ने बताया कि भारत ने G20 देशों के लिए जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट बनाए हैं. इसके अलावा अब तक भारत से 34 देशों के लिए कुल 433 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अमेरिका के साथ मिलकर भारत एक अत्याधुनिक अर्थ-इमेजिंग सैटेलाइट बना रहा है, जिसे भारत से ही लॉन्च किया जाएगा.
चंद्रयान-1 मिशन की उपलब्धियों पर बात करते हुए नारायणन ने कहा कि इसी मिशन के जरिए चंद्रमा की सतह पर जल अणुओं की उपस्थिति का पहला प्रमाण मिला था, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिली.
पूर्वोत्तर भारत के विकास लिए इसरो प्रतिबद्ध
इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए इसरो कई योजनाओं पर काम कर रहा है और यहां की ज़रूरतों के हिसाब से सैटेलाइट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही जल्द ही पूर्वोत्तर के हर राज्य से 100 साइंस छात्रों को बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र का भ्रमण करने का मौका मिलेगा.
अपने संबोधन के अंत में वी नारायणन ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “कड़ी मेहनत और समझदारी से किया गया काम ही सफलता की कुंजी है. आत्मविश्वास और आत्मप्रेरणा से आप जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. एक अच्छा इंसान बनना और समाज को कुछ लौटाना हर छात्र का लक्ष्य होना चाहिए.”